ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 39
ब्लैक बैंगल्स चैप्टर 39
खेल शिकस्त का
अब तक आपने पढ़ा दीपक का तिलक चढ़ गया... अरमान, आर्या और ज्योति मिलकर घर की सफाई करते हैं अरमान को कुछ बात करनी है कहता है तो ज्योति अरमान और आर्या को अपने कमरे मे ले जाती है....
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"अब आगे"
पटना
ज्योति कमरे मे आती है और उसी के पीछे अरमान और आर्या भी आते है... ज्योति दोनो को बैठने का इशारा करती है और खुद दोनो के सामने चेअर पर बैठ जाती है
अरमान ज्योति की तरफ एक कट्टिंग बढ़ाते हुए कहता है "कबीर ने पार्टी रखी है पांच दिन बाद" ज्योति अपना फोन अरमान की तरफ बढ़ाते हुए केहती है "हाँ बुलाया है मुझे... लेकिन ये कोई नॉर्मल पार्टी नही है"
आर्या पूछता है "तो उसने तुम्हे क्यों इंवाइट किया है" ज्योति खिड़की के पास खड़े होते हुए केहती है "मुझे हराने के लिए"
अरमान हैरानी से खड़े होते हुए कहता है "तुम्हे हराने के लिए मतलब मै समझा नही"
ज्योति एक मुस्कुराहट के साथ अरमान को देखते हुए केहती है "कबीर को मालूम चल गया है की मै कैप्टन हूँ.... और उसके बारे मे इंवेस्टिगेशन कर रही हूँ... और वो मुझे रोकना चाहता है... क्योंकि कबीर वही है जो हम समझ रहे हैं"
आर्या कहता है "लेकिन ये बात तुम इतने कॉन्फिडेंस के साथ कैसे केह सकती हो"
ज्योति कुछ सोचते हुए केहती है "बहुत पहले एक बार जब मै कबीर से मिलने गई थी... तब उसकी बाजू पर मैने वही ब्लैक ईगल वाला टैटू देखा था... जो ए के के हाथों में हुआ करता था"
अरमान कंफ्यूज होते हुए पूछता है "लेकिन तुम यह सब कैसे जानती हो...क्योंकि ए के तुम्हारी आर्मी ज्वाइन करने से पहले ही मर चुका था" अरमान के इस सवाल पर ज्योति खामोश ही रहती है ज्योति को खामोश देख अरमान कहता है "तुम्हें नहीं लगता तुम्हें इस सवाल का जवाब देना चाहिए"
ज्योति कुछ देर खामोश रहती है फिर कहती है "मुझे इन सब में कभी भी इंटरेस्ट नहीं था...लेकिन कोई था जिसे इन सब में बहुत इंटरेस्ट था...उसी ने मुझे इन सबके के बारे में बताया था..मेरा पूरा ग्रेजुएशन अपनी पढ़ाई से ज्यादा इन टेरेरिस्ट और ए के ... के बारे में सुनते हुए बीता है"
इतना कहकर ज्योति खामोश हो जाती है फिर आर्या कहता है "तुमने आर्मी क्यों ज्वाइन की"
ज्योति एक सरकास्टिक स्माइल के साथ कहती है "कुछ रिश्ते और उनके नाम जिंदगी बदल देते हैं... और कभी कभी बदला लेने की ज़िद आपका रास्ता और मंज़िल बदल देता है"
आर्या अपना सर खुजाते हुए कहता है "तुम्हारी बातें मेरे सर के ऊपर से जाती हैं कभी कभी"
अरमान ज्योति को बहुत ध्यान से देख रहा था कुछ देर की खामोशी के बाद अरमान कहता है "अगर कबीर ही ए के है तो... तुम्हारी जान को खतरा है क्योंकि उसका पास्ट तुम जानती हो... लेकिन सोचने वाली बात है.... ए के अगर ज़िंदा है तो मरा कौन था"
अरमान के इस सवाल पर ज्योति केहती है "ये तो मुझे भी नही मालूम है... लेकिन जानना बहुत ज़रूरी है"
आर्या परेशान होते हुए कहता है "ये कबीर या ए के जो भी है.... एक ये है और एक देवांश ये दोनो गले की हड्डी बन गए हैं... ना निगल सकते हैं.... ना उगल सकते हैं.. उफ्फ"
ज्योति हल्के गुस्से मे केहती है "कबीर बस एक बीमारी है जिसका इलाज आसान है.... लेकिन देवांश.....देवांश केंसर है जिसके लिए कीमोथेरेपी ही एक मात्र इलाज है"
अरमान परेशान होते हुए कहता है "जिसके बारे मे ज़ादा जानकारी ना हो उसे हराना आसान नही होता.... और हमे ए के...... के बारे मे मालूम ही क्या"
ज्योति दोनो को कुछ देर देखती है फिर केहती है "शब्दों के जाल मे शब्दों मे ही उलझ गए....सब कुछ जानकर भी तुम अंजान रह गए"
अरमान कुछ देर खामोश रहता है फिर कहता है "सबकुछ तुम जानती हो... लेकिन मैने बस उसके बारे मे सुना है... वो भी बहुत कम"
ज्योति उन दोनो के सामने एक व्हाइट बोर्ड लगाती है और कहती है... "आज मै तुम्हे एक कहानी सुनाती हूँ और ये कहानी ए के की है"
आर्या घडी देखते हुए कहता है "रात के 3:30 बज रहे हैं और तुम हमे कहानी सुनाने की बात कर रही हो"
अरमान सीरियस होते हुए कहता है "तुम बताओ जो बताने वाली हो"
ज्योति आर्या से केहती है "लुक मिस्टर मिश्रा अगर एक फौजी वक़्त देखने लगा.....तो आपको नही लगता की किसी और को वक़्त देखने के लिए ज़िंदा नही रहेगा"
आर्या कहता है "मै बस मज़ाक करता हूँ और ये बात तुम जानती हो"
ज्योति मुस्कुरा देती है लेकिन कुछ केहती नही है
ज्योति व्हाइट बोर्ड पर बीच मे कबीर की फोटो लगाती है और बोलना शुरू करती है... "ये है कबीर उर्फ ए के... 18 साल की उम्र से 24 साल की उम्र तक इंडिया मे राज था इसका... लेकिन एक दिन इसी के आदमी ने इसके साथ धोखा कर दिया था जिसके कारण इसी के कुछ रायवल्स ने इसे मारने की कोशिश की....ये जिस फैक्टरी मे छुपा था उसमे आग लगा दी"
ज्योति मार्कर पटक देती है और गुस्से मे केहती है "लेकिन कोई नही जानता उस आग से कैसे वो बच गया कोई नही जानता.... और अब अचानक ये सब"
आर्या कहता है "अगर हम उस जगह जाये तो हमे कुछ ना कुछ तो ज़रूर मिलेगा"
ज्योति एक गहरी सांस लेती है और केहती है "वहाँ जाकर भी छान बिन की थी लेकिन कोई फायदा नही लेकिन उसके कुछ महिनो बाद एक नया नाम आया दुनिया के सामने कबीर ओब्रोइ... और इस नाम ने बिज़नेस की दुनिया मे बहुत नाम कमाया"
ज्योति कुछ सोचते हुए केहती है "एक बात और है की उस आग मे कबीर का चेहरा कैसे बदला... वो जला था या नही ये हमे कबीर खुद बता सकता है"
अरमान कुछ सोचते हुए कहता है "लेकिन अगर कबीर के अलावा ये बात कोई नही जानता तो हम कै...."
कबीर अभी बोल ही रहा था तभी धड़ाम की आवाज़ से दरवाजा खुलता है और सामने खड़े शक्स को देख ज्योति की आँखे डर से बड़ी हो जाती हैं.....
क्या सच मे कबीर ही ए के है या है कोई गलत फहमी? कौन है दरवाज़े पर जिसे देख ज्योति डर गई है?
इस सच झूठ के खेल मे... एक खेल किस्मत का भी है..... शिकस्त तेरी या मेरी..... खेल तो सारा शिकस्त का है
आगे की कहानी जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ मिलते हैं अगले चेप्टर मे
.......... बाय बाय.........
madhura
11-Aug-2023 07:16 AM
Nice part
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Varsha_Upadhyay
01-Feb-2023 07:03 PM
Nice 👍🏼
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Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 01:01 PM
Nice part 👌
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